Thursday 30 August 2012

सिर्फ तुम .....


कभी - कभी कोई,
किसी के लिए
दरवाज़े जब .स्वयं ही बंद
कर देता है ,
तो वह  अक्सर
उसी की आहट का
इंतजार क्यूँ करता है ....
क्यूँ ...!
हवा में हिलते , सरसराते
पर्दों को थाम ,
उनके पीछे ,
उस  के होने की चाह
रखता है .....
और क्यूँ ...!
अक्सर खिड़की बंद करने
के बहाने से
 दूर सड़क को ताकता
 रहता है ,
सिर्फ
उसी  को आते हुए
देखने की चाह में ..........!

7 comments:

  1. बहुत सुंदर एहसास .....दिल को क गया हर शब्द .....

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  2. दिल की दुनिया का एक कडवा सच...! सुंदर लेखन :)

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  3. प्रेम को आसानी से
    खुद से जुदा कर पाना मुश्किल होता है...
    इसलिए उसके ना होने पर भी नजरे दूर -दूर तक उसे तलाशती है....सुन्दर मनभावन रचना....
    तस्वीर भी बहुत सुन्दर है..एकदम परफेक्ट....
    :-)

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  4. और क्यूँ ...!
    अक्सर खिड़की बंद करने
    के बहाने से
    दूर सड़क को ताकता
    रहता है ,

    बहुत ही लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,
    MY RECENT POST ...: जख्म,,,

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  5. nice sakhi..kyunki man bas main nahin hota...

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  6. और क्यूँ ...!
    अक्सर खिड़की बंद करने
    के बहाने से
    दूर सड़क को ताकता
    रहता है ,
    सिर्फ
    उसी को आते हुए
    देखने की चाह में ..........!

    खुबसूरत लाइन
    बस यही तो प्यार है

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  7. 'मुझे'
    नहीं चाहिए,
    तुम्हारा समर्पण,
    'प्रेम में'
    तुम्हारी आहुति,
    'तुम'
    बने रहना,
    'मेरे आराध्य'
    और 'मैं'
    तुम्हारी 'मीरा'... !!अनु!! bahut bahut sundar...

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