Wednesday 3 October 2012

उनका मैं क्या करूँ .....


उसको भूलने के जूनून में ,
वे सूखे  'गुलाब '
जो उसने दिए थे कभी ,
मैंने जिन्हें रख दिया था ,
कुछ किताबो में छुपा कर ,
यादों की तरह ,
वे सूखे फूल , आज मैंने
बिखरा दिए .....
लेकिन ,किताबों के
पन्ने -पन्ने में
जो उनकी महक छुपी है ,
उनका मैं क्या करूँ .....

9 comments:

  1. उन यादों की खुशबू साथ रहेगी...करना क्या है !

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  2. वे सूखे फूल , आज मैंने
    बिखरा दिए .....
    लेकिन ,किताबों के
    पन्ने -पन्ने में
    जो उनकी महक छुपी है ,
    उनका मैं क्या करूँ .....

    उन यादों को समेट लीजिये दिल में

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  3. खुशबू में महकती यादे हैं ...संभाल लो

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  4. किताब के हर पन्ने को तुम जला भी डालो जो खुशबु तुम्हारे वजूद में हैं उसका क्या? बहुत खूब ..... एक अलग सा अंदाज़ आज आपका

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  5. उन यादों को संभाल लीजिये दिल में ...............

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  6. यादें हमेशा साथ रहती हैं

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  7. khushbu ki tarah unhe dil mein qaid kar len sundar abhiwykati

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  8. बहुत खूब लिखा आपने .....

    दिल के पन्नों मे यादों के फूल जब महक मे परिवर्तित हो जाते हैं तो ये महक जन्मों तक साथ चलती है .....इन यादों को भुलाने का जूनून कुछ काम नहीं आता और आपको कहना पड़ता है .....उनका मैं क्या करूँ .....तब आप कुछ नहीं कर सकती तब ये महक ही कुछ ऐसा करती है, कि किसी को कलाकार किसी को सन्यासी तो किसी हो कवि बना देती है ........

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  9. जब प्रेंम हुआ
    सहज था
    भूलोगी भी,गर
    हो सहज!

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